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गजेन्द्रमोक्ष

महर्षि वेदव्यास

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गजेन्द्र कृत भगवान का स्तवन

श्रीमद्भागवत के अष्टम स्कन्ध में गजेन्द्रमोक्ष की कथा है। द्वितीय अध्याय में ग्राह के साथ गजेन्द्र के युद्ध का वर्णन है, तृतीय अध्याय में गजेन्द्र कृत भगवान् के स्तवन और गजेन्द्रमोक्ष का प्रसंग है और चतुर्थ अध्याय में गज-ग्राह के पूर्वजन्म का इतिहास है।

 

श्रीमद्भागवत में गजेन्द्रमोक्ष आख्यान के पाठ का माहात्म्य बतलाते हुये इसको स्वर्ग तथा यशदायक, समस्त पापों का नाशक, दुःस्वप्न नाशक कहा गया है।

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